अग्र समाज का सितारा कैप्टेन डॉ० इन्द्रदत्त गुप्त, प्रथम विश्व युद्ध में भी रहा इनका योगदान

डॉ० इंद्रदत्त गुप्त अग्रहरि जी का जन्म सन १८८५ में नरसिंहपुर (मध्य प्रदेश) में हुआ। अपने पिता डॉ० राम प्रसाद गुप्त फतेहपुर ज़िले के फुलवामऊ ग्राम में एक गरीब लेकिन प्रतिष्ठित घर में जन्मे थे। बड़ी लगन उत्साह व परिश्रम तथा कठिनाई से चिकित्सा की पढ़ाई करके वें सेना के रसद आपूर्ति व्यवसाय को अपनाकर नरसिंहपुर में बस गए। आप अपने भाइयों में से सबसे बड़े थे।


डॉ० इन्द्रदत्त गुप्त सन १९०७ में सरकारी नौकरी में असिस्टेंट सर्जन के रूप में आये। सन १९१६ में भारतीय वैद्यकीय सेवा (इंडियन मेडिकल सर्विसेस) में सम्मिलित हो कर गुप्त जी फौज में सामिल हुए और कई वर्ष तक ईरान में रहें। आपकी पोस्टिंग पश्चिमी सीमा पर भी हुई। सेना में  आपको कैप्टेन का पद मिला। साल १९२२ में प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ती पर आप पुनः पुराने स्थान पर आ गये। सन १९२५ में वें जेल विभाग में स्थानांतरित हो गये और जेल सुपरिटेंडेंट के पद पर सेवा निवृत्त तक कार्य करते रहें।

सामाजिक स्तर पर आप सन १९१४ में सक्रिय हुए और पहली बार अग्रहरि सम्मेलन में सम्मिलित हुए, जो जागेश्वर धाम, फतेहपुर में हुआ था। सन १९२५ में इलाहाबाद में संगम नगरी में समाज के चतुर्थ महासम्मेलन में आप अध्यक्ष चुने गये थे। आप का कार्यकाल दिसंबर १९२७ तक था। आपके सम्बद्ध में कहा जा सकता हैं -

अक्सर दुनिया के लोग समय के चक्कर खाया करते हैं।
लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं जो इतिहास बनाया करते हैं।



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