अग्रसेन का जीवन ऐसा, जैसा निर्मल गंगा का पानी।
सुनो-सुनो ऐ...
प्रतापगढ़ के राजा बल्लभ के घर जन्म था पाया,
द्वापर युग के अन्तकाल में यह महापुरुष आया,
पूरब-पश्चिम-उत्तर-दक्षिण में था गौरव छाया,
महाप्रतापी अग्रसेन का देवर्षों ने गुण गाया।
सुनो-सुनो ऐ...
नागराज कुमुद की कन्या से था ब्याह रचाया,
मिली माधवी अग्रसेन को कुल का मान बढाया,
महाप्रतापी अग्रसेन से इन्द्रदेव घबराया,
इन दोनों को नारद जी ने प्रेम मिलाप कराया।
सुनो-सुनो ऐ...
शादी करके अग्रसेन जी यमुना तट पर आये,
महालक्ष्मी का तप करने को संग माधवी लाये,
हुई प्रगट जब महालक्ष्मी नव दम्पति हर्षाये,
युग-युग जियो , ऐसा वर श्री माता से पाये।
सुनो-सुनो ऐ...
बने अग्र गणराज्य जगत में नवतरंग मन भाई,
अग्रसेन ने अग्रोहा में सुन्दर नगरी बसायी,
कलरव करते जीव-जन्तु शोभा मन हर्षायी,
मिल-जुल कर सब खुश रहते कोई बहन हो या भाई।
सुनो-सुनो ऐ...
सुनो-सुनो ऐ दुनिया वालों अग्रसेन की अमर कहानी,
अग्रसेन का जीवन ऐसा, जैसा निर्मल गंगा का पानी।
सुनो-सुनो ऐ...
रचयिता :- (इंजि) डॉ० हरिकृष्ण प्रसाद गुप्त "अग्रहरि"
ImageCourtesy: uttamup.com
1 comments:
जय श्री अग्रसेन
गर्व है कि हम अग्रवंशी हैं
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