अग्रहरि समाज के इतिहास में अनेक विभूतियों ने समाज के गौरव को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है, परंतु जब भी अग्रहरि समाज की राजनीतिक भागीदारी की बात होती है, तो सबसे पहले स्मरण होता है स्वर्गीय भगवान दास गुप्ता (Bhagwan Das Gupta) का, जिन्हें अग्रहरि समाज से प्रथम सांसद (First Agrahari Member of Parliament) होने का गौरव प्राप्त है।
उनका जन्म 1 जनवरी 1940 को नेपाल के ऐतिहासिक और पावन नगर कपिलवस्तु के तौलिहवा में एक संपन्न अग्रहरि परिवार में हुआ था, जो न केवल भगवान बुद्ध की जन्मभूमि के रूप में प्रसिद्ध है, बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत समृद्ध है। वे स्वर्गीय पशुपति साहू के सुयोग्य पुत्र थे, जिन्होंने बचपन से ही पारिवारिक मूल्यों और सामाजिक उत्तरदायित्व को आत्मसात किया।
उनकी प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही संपन्न हुई, किंतु ज्ञान के प्रति ललक ने उन्हें उच्च शिक्षा हेतु भारत की ओर प्रेरित किया। शिक्षा पूरी करने के बाद वे पुनः नेपाल लौटे और राजनीतिक क्षेत्र में सक्रिय हो गए। एक ऐसे समय में जब समाज की उपस्थिति राजनीति में सीमित थी, भगवान दास गुप्ता ने न केवल अपनी सादगी, सहजता और सौम्यता से लोगों का विश्वास जीता, बल्कि वे कर्मशीलता और नेतृत्व क्षमता के प्रतीक बनकर उभरे। वर्ष 1974 में वे कपिलवस्तु जिला पंचायत के सभापति बने, और इसके बाद पंचायती शासनकाल में दो बार सांसद (Member of Parliament, Nepal) के रूप में निर्वाचित होकर उन्होंने न केवल अग्रहरि समाज बल्कि पूरे नेपाल में एक नई पहचान स्थापित की।
उनकी वाणी में विनम्रता थी, और व्यवहार में ऐसी आत्मीयता कि उनसे मिलकर हर व्यक्ति उन्हें अपना समझता था। उनमें अहंकार का नामोनिशान नहीं था। वे जो कहते थे, उसे जीवन में उतारते भी थे – यही कारण था कि समाज के हर वर्ग में उनका विशेष आदर था। वे न केवल एक राजनेता थे, बल्कि एक सच्चे समाजसेवी, मार्गदर्शक और सांस्कृतिक चेतना के वाहक भी थे। उन्होंने सदैव समाज के पिछड़े वर्गों की आवाज़ को संसद तक पहुंचाया और उन्हें मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास किया। उनका जीवन "Simple Living, High Thinking" का जीवंत उदाहरण था।
श्री भगवान दास गुप्ता बहुआयामी प्रतिभा के धनी थे। वे नेतृत्व, सेवा और वैचारिक स्पष्टता के ऐसे त्रिवेणी संगम थे, जिन पर समाज आज भी गर्व करता है। उनके पुत्र श्री बृजेश कुमार गुप्ता (Brijesh Kumar Gupta, Nepali Politician) ने भी अपने पिता की परंपरा को आगे बढ़ाया और नेपाल की राजनीति में कई बार सांसद एवं कानून मंत्री (Law Minister of Nepal) के रूप में सेवा देकर समाज को गौरवान्वित किया है। यह परिवार आज भी Agrahari community के सामाजिक और राजनीतिक प्रतिनिधित्व का मजबूत स्तंभ बना हुआ है।
15 नवम्बर 1998 को जब भगवान दास गुप्ता का निधन हुआ। समाज ने एक ऐसे जननेता को खोया, जिसने अपने कार्यों और व्यवहार से हजारों लोगों के जीवन को प्रभावित किया। उनका जीवन आज भी युवाओं के लिए प्रेरणा है, और उनका नाम अग्रहरि समाज के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित रहेगा।
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